माँ
माँ
1 min
224
काश ! मैं तेरी ममता को शब्दों में माँ लिख पाती,
काश ! मैं तेरी क्षमता को शब्दों की माला में पिरो पाती ,
कहने को तो बहुत कुछ है पर अल्फाज कहीं कम है ,
मन इस पल भी कहीं तेरे ख्यालों में गुम है।
सयानी यूं तो कितनी भी हो जाऊँ पर तेरे लिए हमेशा बच्ची ही रहूँगी,
शायद कभी ये कह न पाऊँ,पर आँचल हमेशा तेरा ही चाहूंगी।
भूलने को चाहे दुनिया पड़ी हो पर प्यार कभी न तेरा मैं भुला पाऊँगी।
माँ तेरे आँचल की छाँव में ही, दुनिया से मैं लड़ जाऊँगी ।
जहाँ कभी मुश्किल आए तो सीख तेरी अपनाऊँगी।