लड़के भी रोते हैं
लड़के भी रोते हैं
माता पिता के लाड़ले दिल दिमाग से मजबूत होते हैं,
दिल को पहुँचती हैं आहत तो वो चुपके से रो देते है ।
बहुत अरमान सजाकर रखते हैं जिदंगी जीने के लिए,
टूट जाते हैं सारे अरमान तो बिलख बिलख कर रोते हैं ।
माता-पिता से दूर जाकर जीवन जीने की कला सीखते हैं,
हो जाते है कामयाब तो कैसे माँ के गले से लिपट कर रोते हैं ।
भरी दोपहरी में कामयाबी हासिल करने के लिए भाग दौड़ कर,
पुरुषार्थ को अपना बना हथियार कर्म को अंजाम देते है ।
घर परिवार से दूर तन्हाई में जब अपनों की आती है याद,
संगीत की स्वर लहरियां गुनगुना मन हल्का कर लेते हैं ।
