कुछ सवाल इस लोक के..
कुछ सवाल इस लोक के..
मैं तुझसे सवाल कर सकूं ,
इतना मेरा औदा नहीं ..
पर जान गवां कर तेरे पास आना है ,
इससे बड़ा तो शायद कोई सौदा नहीं .!!
क्या तेरे लोक में भी ऐसा होता है ;
या वहां हर कोई एक जैसा होता है ..
मतलब ना हो तब तक कोई पूछता भी नहीं ;
यहां तो जान से बड़ा पैसा होता है ..
क्या तेरे लोक में भी किसी की सरकार है ;
या खुश रहना वहां सबका अधिकार है ..
लालच तो मिटा देता होंगा ना पहले तू ;
यहां तो नजाने रोज़ कितने बलात्कार है ..
क्या तेरे लोक में भी ज़मीन खरीदी जाती है ;
या सभी को एक साथ रखा जाता है ..!
अस्त्र उठाने का हक़ तेरे पास ही है ना ?
यहां तो जातियों के नाम पर गला काटा जाता है ..
क्या तेरे लोक में भी रिश्वत देना पड़ता है ;
अपनी ख्वाहिश पूरी करने के खातिर ,
किसी बेजुबान की बलि देना पड़ता है ?
यहां तो किसी से बस थोड़ा सा वक्त मांग लो ;
तोहफ़े में पहले उसे में घड़ी देना पड़ता है ...
