कर्ज़ सिंदूर का
कर्ज़ सिंदूर का
दूध का कर्ज़ा बाकी है, बाकी है घर का भाड़ा अभी
भादो की ना रात बीती बाकी है पूस का जाड़ा भी
पाई पाई जोड़ जोड़ जल्दी ही सब लौटा दूंगा
अगले जन्म में हे प्रिये तेरा भी कर्ज़ चुका दूंगा।।
वादा किया था तुझसे जो है सब कुछ मुझको याद अभी
थोड़ी सी मोहलत दे दे, मैं करता हूँ फरियाद अभी
समझ मेरी लाचारी को, मजदूरी कर लौटा दूंगा
अगले जन्म में हे प्रिये तेरा भी कर्ज़ चुका दूंगा।।
हालत ग़र ऐसी ही रही, कि फिर से सब कुछ लुट गया
सहते सहते लू के थपेड़ों से गर फ़िर से टूट गया
बन जाऊंगा नौकर मैं, घर की रखवाली कर दूंगा।
अगले जन्म में हे प्रिये तेरा भी कर्ज़ चुका दूंगा।।
बातों से जो सुना नहीं तो पैरों से धक्का देना
छोटी सी भी भूल चुक पर मुझको सदा सज़ा देना
कर देना सर धड़ से अलग, मैं अपना शीश झुका दूंगा
अगले जन्म में हे प्रिये तेरा भी कर्ज़ चुका दूंगा।।
