कितना अच्छा लगता था---
कितना अच्छा लगता था---
अक्सर ख्यालों में
गुमसुम सी
सोचती हूँ-----
तुम से मिलना----
बातें करना---- कितना अच्छा लगता था
दिल के कैनवस पर------- उकेरती हूँ
जब यादें तेरी
उभर आते हैं
तुम संग बीते
कुछ पल अनूठे------
वो बारिश की गीली साँझ
डाल कर हाथों में हाथ
दूर तक यूं ही----- चलते जाना
कितना अच्छा लगता है
तुम से मिलना
अच्छा लगता है
तारों भरी रात में
तुम्हारे साथ
मद्धम चाँदनी को
आँखों से पीना
वो आँखों ही आँखों
में रात काट देना
वो प्यार भरी
बातों का खत्म ना होना
कितना अच्छा लगता है-------
तुम से मिलना
अच्छा लगता है
वो सागर के साहिल
की ठंडी रेत पर
नंगे पैर दूर तक चलना
सागर की लहरों में
भीगना- भिगोना
प्रेम के पल
भरपूर जीना
कितना अच्छा लगता है
तुम से मिलना
अच्छा लगता है
तुम्हारे संग------ long ड्राइव
पर जाना------- बीते पलों को
फिर से जीना------ वो मस्ती भरे
दिन------- लौट कर नहीं आते ,कभी,
आती हैं------- सिर्फ यादें
दिल के कैनवस पर
उकेरी यादों को
फिर से जीना----- अच्छा लगता है
तुम से ही नहीं
तुम्हारी यादों से मिलना भी----
मुझे अच्छा लगता है।