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ख्याल

ख्याल

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ख्यालों में रहता हूं, ख्यालों को लिखता हूं। 

कभी खुद से लिखता हूं, कभी खुद को लिखता हूं। 

ख्यालों में रहता हूं, ख्यालों को लिखता हूं। 


सहसा काग़ज़ और कलम की होड़ होती है, 

विचारों के नए प्रयोगों की दौड़ होती है ,

मैं लिखता हूं, मैं लिखता हूं, 

मैं बरबस यू ही लिखता हूं, 

ख्यालों में रहता हूं, ख्यालों को लिखता हूं। 


कभी मौसम को लिखता हूं, कभी उसके अंगड़ाई को लिखता हूं,

कभी उदासी तो कभी तन्हाई को को लिखता हूं। 

ख़यालों में रहता हूं, ख्यालों को लिखता हूं। 


हर रात यू ही लिखता हूं, जैसे सोची नहीं थी कोई बात, 

लिखते लिखते गुजर जाती है आधी रात,

मैं बरबस यूँ ही लिखता हूं, 

ख़यालों में रहता हूं, ख्यालों को लिखता हूं। 


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