कहीं तो
कहीं तो
बाकी है कहीं तो,
वो जो खोया था है यही कहीं तो,
ओझल नज़रों से यूं हुआ,
आज तक हासिल एक निशान ना हुआ,
धुंधली सी ये तस्वीर है बस,
हिस्से बस एहसास ही है अब,
किस्सा पुराना है बेशक,
मेरे आंखों से ओझल है बेशक,
उस तक पहुंचाएं कोई जज़्बात ये मेरे,
कोई कहे उसे लौटा दे वो बीते दिन मेरे,
नदियों किनारों धूप और छांव,
हर पग पग भागा मैं नंगे पांव,
गुनगुनाना है उसके साथ,
हर रात हर सवेरा बीते उसके साथ,
कभी मैं आहिस्ता सुन लूं वो ना जो होगा बयां,
कभी खामोशी से कह दूं मैं वो जो मुझसे कहां ना गया,
पता उसका मालूम नहीं ना खबर है उसके शहर की,
वो जो उस तक जाती थी वो सारी राहें छूटती चली गई,।।
गिनना ज़रूरी तो नहीं वो जो बीते है साल,
चुप्पी का होना भी है खुद मे एक अंजाम,
जाने दूं या रख लूं,
ये जो रेत सा बिखरा हैं मन उसे कैसे संभालूं,
मुझे रास्ता ना दिखाना मैं हर राह हो कर आया हूं,
बस राहत बताना मैं हर दवा आज़मा आया हूं,।