ख़्वाहिशें
ख़्वाहिशें
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छोटी -छोटी ख़्वाहिशें
होती बहुत हैं
ख़्वाहिशों का क्या
पल -पल बदलती हैं
आज एक छोटू
अपनी मज़दूरी लेकर
मन ही मन करता
उधेड़बुन अपनी
हर पाई-पाई का करता
हिसाब छोटी सी है
ख़्वाहिश माँ के लिए
ठंड से बचने के लिए
लूं स्वेटर एक दो हफ्ते
में कर लूं जमा तो
पर जब गया बनिये की
दुकान पर सब धरी रह गई
जब पुराना हिसाब चुकाने की
बारी आई ख़्वाहिशों का
पल -पल बदलना।
उदास सा जब पहुंचा छोटू
माँ ने जला रखा था अलाव
छोटू और अपने को ठंड से
बचाने का उपाय
छोटू गया भूल सारी
उदासी निश्छल हँसी से
करता ईश्वर का धन्यवाद
छोटी -छोटी
ख़्वाहिशों का क्या है
पल-पल बदलती हैं।