कभी ख्वाबों में आ जाओ
कभी ख्वाबों में आ जाओ
कभी ख्वाबों में आ जाओ ।
निज सूरत कभी दिखा जाओ ।।
कब से तुम्हें पुकार रहा हूँ ।
अपलक पंथ निहार रहा हूँ ।।
कभी ख्वाबों में आ जाओ ।
आ मन में मुझे बसा जाओ ।।
निज सूरत कभी दिखा जाओ ।।
निशा अँधेरी डरवाती है ।
याद तुम्हारी तड़पाती है ।।
कभी ख्वाबों में आ जाओ ।
आँचल में मुझे छिपा जाओ ।।
निज सूरत कभी दिखा जाओ ।।
सोते - सोते भी जगता हूँ ।
नये - नये सपने बुनता है ।।
कभी ख्वाबों में आ जाओ ।
आ मुझको गले लगा जाओ ।।
निज सूरत कभी दिखा जाओ ।।
बोली प्यारी कोयल जैसी ।
घोली मिसरी लगती ऐसी ।।
कभी ख्वाबों में आ जाओ ।
तुम मीठा गीत सुना जाओ ।।
निज सूरत कभी दिखा जाओ ।।
जीवन का उल्लास तुम्हीं हो ।
सुबह शाम मधुमास तुम्हीं हो ।।
कभी ख्वाबों में आ जाओ ।
मन मेरा तुम महका जाओ ।।
निज सूरत कभी दिखा जाओ ।।
मन में बस रूप तुम्हारा है ।
इक केवल तुम्हें निहारा है ।।
कभी ख्वाबों में आ जाओ ।
मन में नव दीप जला जाओ ।।
निज सूरत कभी दिखा जाओ ।।
तुझ से ही पहचान मिली है ।
मन मंदिर की कली खिली है ।।
कभी ख्वाबों में आ जाओ ।
रिश्तों को कभी निभा जाओ ।।
निज सूरत कभी दिखा जाओ ।