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डाँ .आदेश कुमार पंकज

Others

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डाँ .आदेश कुमार पंकज

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कभी ख्वाबों में आ जाओ

कभी ख्वाबों में आ जाओ

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कभी ख्वाबों में आ जाओ ।

निज सूरत कभी दिखा जाओ ।।


कब से तुम्हें पुकार रहा हूँ ।

अपलक पंथ निहार रहा हूँ ।।

कभी ख्वाबों में आ जाओ ।

आ मन में मुझे बसा जाओ ।।

निज सूरत कभी दिखा जाओ ।।


निशा अँधेरी डरवाती है ।

याद तुम्हारी तड़पाती है ।।

कभी ख्वाबों में आ जाओ ।

आँचल में मुझे छिपा जाओ ।।

निज सूरत कभी दिखा जाओ ।।


सोते - सोते भी जगता हूँ ।

नये - नये सपने बुनता है ।।

कभी ख्वाबों में आ जाओ ।

आ मुझको गले लगा जाओ ।।

निज सूरत कभी दिखा जाओ ।।


बोली प्यारी कोयल जैसी ।

घोली मिसरी लगती ऐसी ।।

कभी ख्वाबों में आ जाओ ।

तुम मीठा गीत सुना जाओ ।।

निज सूरत कभी दिखा जाओ ।।


जीवन का उल्लास तुम्हीं हो ।

सुबह शाम मधुमास तुम्हीं हो ।।

कभी ख्वाबों में आ जाओ ।

मन मेरा तुम महका जाओ ।।

निज सूरत कभी दिखा जाओ ।।


मन में बस रूप तुम्हारा है ।

इक केवल तुम्हें निहारा है ।।

कभी ख्वाबों में आ जाओ ।

मन में नव दीप जला जाओ ।।

निज सूरत कभी दिखा जाओ ।।


तुझ से ही पहचान मिली है ।

मन मंदिर की कली खिली है ।।

कभी ख्वाबों में आ जाओ ।

रिश्तों को कभी निभा जाओ ।।

निज सूरत कभी दिखा जाओ ।


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