कौन
कौन
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कुछ फुर्सत के पल निकालिये
आपस में मिलता कौन है।
अपनों में अपना यार खोजिये
इनमें दर्द बांटता कौन है।
एक अरसा सा बीत गया
अपने आप से मिले हुए।
इस जहां में हमसफर
बन के मिलता ही कौन है।
उम्र भर रहे वो साथ
यह कोशिश बहुत की
सुबह से शाम तक
ढलता ही कौन है।
कुछ वो मिले जो
रास्ते में छूट गए
कंटीली राहों पे अब
चलता ही कौन है।
