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FORAM. R. MEHTA

Others

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FORAM. R. MEHTA

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काव्य शीर्षक ~ याद

काव्य शीर्षक ~ याद

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बचपन तो बीत गया ,

याद तो अब भी बाकी है।

लड़ाई के बाद भी दोस्त सभी, 

वापस चले आते थे।


रूठकर पापा के पास जाना,

फिर चलता पापा का मनाना।

अपनी कुछ बातों को मनवाना,

हम ही है खास यह जताना।


किसी का डांटना, 

छोटी बातों पर मुंह फुलाना।

रोना, रूठना, चिल्लाना,

माँ का प्यार से सहलाना।


खेलना, कूदना, छुपना, छुपाना 

छुट्टी के दिन आलस बहाना।

पढ़ाई के नाम से झूठे आँसू बहाना,

भैया का आकर प्यार से खेलने ले जाना।


कागज की कश्ती चलाना,

हर ज़िद को अपने हिसाब से मनवाना।

ले गया जीवन सब खुशी मेरी,

बहुत याद आती है मुझे बचपन तेरी।


आज भी सरक जाते है उन पल में,

आँसू छलक आते हैं एक झलक में।

कोई अब मनाता नहीं रोने के बाद,

आँसू भी नहीं आते अब दुःखी होने पर आज।



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