काश कि मैं भी चिड़िया होती
काश कि मैं भी चिड़िया होती
काश कि मैं भी चिड़िया होती
डाल-डाल पर उड़ती फिरती
नगर-नगर और गाँव-गाँव में
सुन्दर वन और बाग-बाग में
मीठे गीत गुनगुनाती रहती
राग सुरीले गा-गाकर
सबके मन को मैं बहलाती
काश कि मैं भी चिड़िया होती
डाल-डाल पर उड़ती फिरती
नदी किनारे किसी डाल पर
अपना नीड़ बनाती मैं
बच्चों के हाथों से
चुग-चुग दाना खाती मैं
उड़ती रहती स्वच्छन्द गगन में
चन्दा तक पहुँच जाती मैं
काश कि मैं भी चिड़िया होती
डाल-डाल पर उड़ती फिरती
खेलती चुन्नू-मुन्नू के संग
गीता-बबली-पिन्की के संग
गीत एकता के मैं गाती
बोल-बोल मैं सबको जगाती
काश कि मैं भी चिड़िया होती
डाल-डाल पर उड़ती फिरती