जुबां का दर्द
जुबां का दर्द
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उम्मीद से ज्यादा सोचा था,
कि एक दिन वो मेरा होगा,
मगर खैरियत तक न पहुंचे,
यही सबसे बड़ा धोखा था,
कलम लिखती थी जुबां का दर्द,
जब दर्द दिल का बयां होता था।
अर्जियां अक्सर दर्ज होकर भी दम तोड़ देती हैं,
कसमें खाकर अक्सर लोगों की फितरतें बदलती हैं,
दिल ए बागवां जिंदगी वो मुशायरा थी,
जिसका कभी जवाब नहीं होता था।
वो माकूल जिंदगी को तबाह कर बैठे हुस्न ए यार के लिये,
जो जिंदगी एक घरौंदा थी प्यार और परिवार के लिये।
अभी कुछ देर और रुकते तो शमा जल उठती परवाने के लिये,
शमा भी क्या करे जब पवन गति तेज हो नहीं रुकने के लिये।