जन्म स्थान (संस्मरण)
जन्म स्थान (संस्मरण)
जहाँ मेरा जन्म हुआ
जाती हूँ आज भी वहाँ
हिमाचल का छोटा सा गाँव
सुँकाली
नानी का घर
मेरा जन्म स्थान
बड़ी सी हवेली
भाग्यशाली हूँ
मामा-मामी जी ने
आज भी संभाला हुआ है इसे
यहाँ रह कर
हम सब बहन-भाई
इसी वजह से जा आते है वहाँ
सारा श्रेय जाता है मामा-मामी को
कभी कोई पूजा
कभी कोई उत्सव
सारे खानदान को जोड़ कर रखा है।
आज के युग में यह सब कहाँ
पर...
किसी न किसी बहाने जा आते है
चंडीगढ़ से
कार से आना जाना हो जाता है
बच्चों को पहाड़ की सैर
चिंतपूर्णी माता के दर्शन
बाबे डेरे...
बस कुछ इसी तरह
चलता रहता है
जिंदगी का सफर।
आज भी मिल जाती है
चूल्हे की रोटी
गाँव की ताजा सब्जियाँ
वो दूध-दही।
रात वेडे में आग जला बैठना
आसमान में तारों को देखना
याद आ जाता है अपना बचपन
दौड़कर जाते थे बगीचे में
टपके के आम चुनने को।
जो हमने देखा
वो शायद हमारे बच्चों को नहीं मिला
फिर भी
नानके, दादके
सब सैर करवा देते है।
ये वो अनुभव है
जो मिलते है
परिवार से जुड़े होने पर
उनके प्यार से
एक दूसरे का ध्यान रखने से।
भगवान मामा मामी जी बहुत लम्बी उम्र दे
जोड़ा है उन्होंने हमें हमारी मिट्टी से
खड्ड के बहते पानी से
खेत की सौंधी मिट्टी से।
