अरविन्द त्रिवेदी
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ज़िन्दगी दिन के जैसी कहानी लगे
भोर जिसकी सदा ही सुहानी लगे
दोपहर सी तपिश है जवानी! मगर-
साँझ अवसान की बस निशानी लगे।
मैं भी किसान ...
मैं शुष्क भूम...
भारत देश हमार...
हमसफ़र
ग़ज़ल
शिव स्तुति
मुक्तक
शब्द
राम
स्त्री