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अरविन्द त्रिवेदी

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अरविन्द त्रिवेदी

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ज़िन्दगी

ज़िन्दगी

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ज़िन्दगी दिन के जैसी कहानी लगे

भोर जिसकी सदा ही सुहानी लगे

दोपहर सी तपिश है जवानी! मगर-

साँझ अवसान की बस निशानी लगे।



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