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Rachna Vinod

Others

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Rachna Vinod

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ज़िन्दग़ी के मोड़

ज़िन्दग़ी के मोड़

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जिसके आने से जागी जो आस

ज़िन्दगी में लगा कुछ तो है ख़ास

जिसके लिए दिल में यूं बरसा प्यार

जैसी बुझती हो अनबूझ प्यास।


मासूमियत भरा वो पल अभी भी याद

उंगली पकड़ने से थाम हाथों में हाथ

राहों पर संग संग चलते चलते

कितना दिलकश पाया जिसका साथ।


जिसके खिलते रूप में अपना रूप खिला

खिलती हंसी में अपनी हंसी खिला

इसी में जीने का मतलब जान

बढ़ते पलों में अपने सुर से सुर मिला।


कहीं पहुंचने की रेस में

पहुंच कर रुकने की रेस में

हमारा आपसी लगाव बना रहे

चलते-रुकते किसी भी रेस में।


खिले-खिले से महकते रहो

प्यारे-प्यारे से चहकते रहो

ज़िन्दगी के हर मोड़ पर

हमसे यूं ही मिलते रहो।


भरपूर जीवन में बने रहें ठाठ-बाट

अपनों का बना रहे साथ

यूं ही बढ़ते जीवन की रेस में शामिल

हमेशा रहो सुखी हमेशा कामयाब।

 



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