जिसके खिलते रूप में अपना रूप खिला खिलती हंसी में अपनी हंसी खिला जिसके खिलते रूप में अपना रूप खिला खिलती हंसी में अपनी हंसी खिला
कभी घनी छांव भी है तो कभी तेज धूप सी है कभी घनी छांव भी है तो कभी तेज धूप सी है
क़िस्मत का खेल है तेरे लिए मोहब्बत की रेल है मेरे लिए क़िस्मत का खेल है तेरे लिए मोहब्बत की रेल है मेरे लिए
लक्ष्य को साधने के लिए दधीचि सदृश्य कठोर तप करना है..! क्यूँकि ... तुम बहुत ख़ास हो.. लक्ष्य को साधने के लिए दधीचि सदृश्य कठोर तप करना है..! क्यूँकि ... तुम बहु...
त्यौहार का दिन होता है बहुत खास मन भरता उमंग और उल्लास। त्यौहार का दिन होता है बहुत खास मन भरता उमंग और उल्लास।