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Vikram Vishwakarma

Others

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Vikram Vishwakarma

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जीवनोपयोगी

जीवनोपयोगी

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जिनके सिर कर्जा नहीं, रंक भले वह होय।

ताको दुःख व्यापै नहीं, भले न पूंजी होय।।


जीवन में नर न करे, यदि कल्याण उपाय।

मरण काल में ते मनुज, बहुत बहुत पछताय।।


जो नर निज को कोसते, लेत भाग्य को नाम।

तिन्हँ पर कबहुँ न रीझते, मुरलीधर घनश्याम।।


बहुत पढ़ा रट पी गया, दर्शन वेद पुराण।

पर गुरु की किरपा बिना, मिटा न उर अज्ञान।।


व्यंग्य विषैले कटु वचन, क्रोध भरे मत बोल।

जिव्हा नौ रस खान है, प्रथम बुद्धि से तोल।।


लोचन की ज्योति बिना, कुछ बिगड़त नहिं काज।

ज्ञान नयन जो न मिले, बिगड़े कल और आज।।


आदर पावत वह नहीं, जो आदर नहिं देत।

विक्रम बीज बिना कभी, देत अन्न नहीं खेत।।



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