जहां भी जाएं, सब महकाएं
जहां भी जाएं, सब महकाएं
1 min
301
तुम असहाय और दुर्बल हो,
अपनी सुरक्षा के लिए,
कांटों पे निर्भर रहते हो,
लेकिन फिर भी,
मुस्कराहट बांटते हो।
हर कोई तुमसे महौबत करता,
कभी तूं गोरी के कजरे में सजता,
कभी गुलदस्ता बन जमता,
कभी बुके बन स्वागत करता,
कभी माला बन,
किसी के गले में पड़ता,
फिर भी कभी अहंकार न करता,
अपनी महत्ता पे नहीं इतराता,
इतनी सी उम्र में,
इतना महान काम कर जाता,
शायद यहीं से सबसे बड़ा संदेश,
मानवता को दे जाता।