STORYMIRROR

Neerja Sharma

Others

3  

Neerja Sharma

Others

जाल

जाल

1 min
197

बहुत बार देखा है मकड़ी के जाले को 

इतनी कारीगरी से बुने ताने बाने को 

कितनी मेहनत से बनाती है इस जाले को

मर जाती है गर फँसा ले जाल इसको।


कुछ ऐसी ही कहानी है इंसान की 

बुनता है जाल अपने चारों ओर

अपनी अनबुझी प्यास की तृप्ति के लिए 

फँस जाता है एक दिन अपने ही जाल में।


चाह कर भी नहीं निकल पाता फिर 

नहीं सुन पाता मन की आवाज 

अब शुरू होता है चिंतन मनन

पर पछतावे के बिना नहीं आता हाथ।


Rate this content
Log in