अपितु कृष्णा है ! वचन कर्म विहीन हो तोये मिथ्या है मृगतृष्णा है ! अपितु कृष्णा है ! वचन कर्म विहीन हो तोये मिथ्या है मृगतृष्णा है !
खुद मैं जज्ब किये थे जो सपने पंकज, उन सपनों को कभी खोल कर नहीं देखा। खुद मैं जज्ब किये थे जो सपने पंकज, उन सपनों को कभी खोल कर नहीं देखा।
अब तक समझ ना पाया कोई, इससे क्या रिश्ता हमारा है ? अब तक समझ ना पाया कोई, इससे क्या रिश्ता हमारा है ?
अगर मैं तुम जैसी बन भी गयी तो मेरे जैसा कौन बनेगा ? अगर मैं तुम जैसी बन भी गयी तो मेरे जैसा कौन बनेगा ?