"इल्म "
"इल्म "
1 min
460
दीवानगी की बानगी, हर रोज इल्म है,
चाहें खुदा हो या आम आदमी।
हर रोज ठुकराया जाता, फिर तेरे दर आता,
चाहें खुदा हो या आम आदमी।
क्या करूँ?तेरे बिन, ना रास्ता ना वास्ता,
चाहें खुदा हो या आम आदमी।
मन में रुखसती का डर,
चाहें खुदा हो या आम आदमी।
एक इल्म ही तो है, जो जरूरत भी है,
चाहें खुदा हो या आम आदमी।
दीवानगी की बानगी, हर रोज इल्म है,
चाहें खुदा हो,या आम आदमी।