हर धर्म का सम्मान
हर धर्म का सम्मान


वजूद की लड़ाई में,
लड़ रहे हैं जिस्म,
होड़ है जीत की,
तलाश है अस्तित्व की...
दे रहे हैं इस लड़ाई को,
धर्म युद्ध का नाम,
दूसरे की हार में,
मना रहे हैं जश्न...
हर रोज- हर लम्हा,
फिसल रहा है वक्त,
बीत रहीं हैं सुनहरी यादें,
खत्म हो रहा है,
साथ जीने का सिलसिला...
जीत- हार के चक्कर में,
छूट गए हैं हम पीछे,
धर्म की दीवारें,
खड़ी हो गईं हैं,
जीवन का रास्ता रोके...
इन दीवारों से,
मिट रहे हैं, प्यार के रंग...
रंगों के मिटने से पहले,
वजूद के नष्ट होने से पहले,
खाक में मिल जाएंगे हम...
बस कुछ समय ही है बात,
खाक हो जाएंगी
नफरत की दीवारें,
खून के लाल रंग,
मिल कर समंदर की लहरों में,
आकाश की गहराई में,
फिर हो जाएंगे एक हम,
इस नए मिलन से जब मिलेगा,
अपने वजूद को मुकम्मल मुकाम
जहां होगा हर धर्म का सम्मान