सपने... सपने...
यह विमोचन काफी था, यह स्वर्ग काफी था। यह विमोचन काफी था, यह स्वर्ग काफी था।
मानव को मान दे जहां नया बनाऐंगे, बहस जारी है, बहस जारी है।। मानव को मान दे जहां नया बनाऐंगे, बहस जारी है, बहस जारी है।।
उन्हीं की कदमों में जन्नत है मेरे यार! उन्हीं की कदमों में जन्नत है मेरे यार!
माँ शब्द में ही है एक आस, जो देती है उम्मीद, प्यार और पूर्णता का एहसास। माँ शब्द में ही है एक आस, जो देती है उम्मीद, प्यार और पूर्णता का एहसास।
कि नियति क्या होगी यही हमारी हैवानियत होगी क्या यूँ ही तारी। कि नियति क्या होगी यही हमारी हैवानियत होगी क्या यूँ ही तारी।