हे गणेश
हे गणेश
विघ्नहरण, मंगलकरण, मंगलमूर्ति गणेश,
अत्याचारियों को सबक सिखाने, आ जाओ तुम गणेश।
जो हैं छलिया, पापी, कपटी, अत्याचारी,
उनसे जग की रक्षा कीजिये, गौरीपुत्र गणेश।
तुम एक दंत, तुम वक्रतुण्ड, तुम प्रथम पूज्य भगवन्ता।
हे लम्बोदर, हे गणनायक ,हे बुद्धि ज्ञान के दाता।
हे प्रथम पूज्य, हे गजबदन मिटा दो जहाँ से सकल क्लेश।
पूजा तुम्हारी करूँ हे बप्पा, हे शंकर सुवन गणेश।
हे रिद्धि - सिद्धि के दाता,हे शिवशक्ति नंदन।
प्रिय मोदक तुमको भाता, हमारा तुमको वंदन,
आक्रानताओं के मन को शीतल कर दो,
जहाँ में सबका जीवन हो जैसे सुवासित, शीतल चंदन।
हे कार्तिकेय भ्राता, हे शुभदाता,मुसक की करते तुम सवारी,
तुम्हारी लीलाएं हैं जगत में सबसे निराली,
कुबेर का मान मर्दन करने वाले हे भगवंता,
अभिमनियों का मान मर्दन फिर कीजिये मंगलेश गणेश।
रक्षा करो हे गौरी के नंदन, सकल देवों के तुम दुलारे।
हे विघ्नहर्ता हे मंगलकर्ता, पूर्ण कर दो सकल मनोरथ हमारे।
प्रथम पूजा तेरी करूँ, उठकर रोज भिंसारे।
हे मंगलमूर्ति, हे गणेश तुम्हारी हम सब आरती उतारे।