हारना मत
हारना मत
जिंदगी के हर दर्द से,बस सीखते चलो
संघर्षो से नव कहानी,तुम बस रचते चलो।
माना रहा है संकट,जीवन मे तुम्हारे
इन संकटों ने बदले,जीवन के सितारे।
हर गीत रच अब ऐसा,तुम जीतते चलो
लिख कर नई एक गाथा,मुस्कुराते चलो।
कितनी भी हो ठोकर,तम का दूत बनकर
तोड़ देना तुम सब,सविता का तेज बनकर।
न साथ कोई तेरे,अकेले ही तुम चलना
दिवाकर की प्रखरता,तुम स्वयं ही बनना।
जब जब भी घेरे,अवसाद अवरोध बनक।
आशाज्योत बनकर,तुम स्वयं ही चल देना।
आएंगे बार बार सताने,लोभ,मोह के झोंके
तुम न कभी उलझना, कितना भी ये रोके।
है लक्ष्य श्रेष्ठ जिसका,वह सदा ही धनी हैं
साधन नही तो क्या,आशाओं की न कमी है।।
