हालत हिंदुस्तान की
हालत हिंदुस्तान की


ये दुनिया बड़ी गोल है,
चारों तरफ झोल है,
देश का रक्षक मालिक भक्षक
रिश्वत खाने वाला है,
चौराहे पर चार सिपाही
चालीस रूपये वाला है,
दस -दस रूपये चारों मांगे
रक्षा करें दुकान की !
देख जरा आँखें खोल के
ऐसी हालत है हिंदुस्तान की !
क़ानून, प्रशासन सब फेल हो गया,
रेप, बलात्कार, गुंडागर्दी
बच्चों वाला
खेल हो गया,
छिड़ जायेगा गृहयुद्ध
मुझको ऐसी आशंका है,
अब खायेगा काट - काट कर
मांस,
एक इंसान ही इंसान की,
गर होती रही हत्या
हर रोज एक किसान की,
देख जरा आँखें खोल के
ऐसी हालत है हिंदुस्तान की !
हर रोज जूठा खाना,
गर इतना फेंका जायेगा,
गरीब बेचारा खाली पेट
कितनी रात बितायेगा,
कहने को बहुत कुछ है,
पर इतना ही काफ़ी है,
लगी पड़ी हुई है,
यहाँ अच्छे इंसान की,
देख जरा आँखें खोल के
ऐसी हालत है हिंदुस्तान की !