Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Brajendranath Mishra

Inspirational

4  

Brajendranath Mishra

Inspirational

गणतंत्र टूट रहे सारे भ्रमजाल

गणतंत्र टूट रहे सारे भ्रमजाल

2 mins
267


अब देश जाग्रत हो रहा,

नेताजी को जल्द बुलाओ।

सो रहा जो युवा आज,

उसे उठाओ, उसे जगाओ।


नई क्रांति की चलो बालो मशाल

इस गणतंत्र टूट रहे सारे भ्रम जाल।


पराक्रम दिवस पर नेताजी के

तप को आत्मसात करो।

उस स्वतंत्रता के मतवाले का

युद्ध घोष ले साथ चलो।


जाग रहा देश,नाच रहा अरि पर काल।

इस गणतंत्र टूट रहे सारे भ्रम जाल।


नेताजी की स्मृतियों को,

राष्ट्रीय स्मारक में चलो सहेजें।

हमारे युवा सोच के प्राण,

उन्हें धमनियों में उकेरें।


हे ! नए भारत के प्रकाश पुंज विशाल।

इस गणतंत्र टूट रहे सारे भ्रम जल।


भारत नही त्रिपिटक लेकर

अब शांति प्रस्ताव पढ़ता है।

देश सत्य के लिए जीत की

परिभाषा खुद गढ़ता है।


विश्व समझे भारत की दृष्टि विशाल।

इस गणतंत्र टूट रहे सारे भ्रम जाल।


जो रहे अब तक भ्रम में

गंगा- जमुनी तहजीब रटा करते थे।

जो रहे अब तक घात क्रम में,

देश को जर्जर किया करते थे।


उनकी पहचान हुई, सुलझे सब सवाल।

इस गणतंत्र टूट रहे सारे भ्रम जाल।


अब वीर देश की जीत का

मुकुट धारण करता है।

प्रलय के मेघों का मुख मोड़

चट्टानों में राह बनाया करता है।


देश दुश्मनों की ताड़ चुका हर चाल।

इस गणतंत्र टूट रहे सारे भ्रम जाल।


कुछ छद्म बुद्धिजीवी क्यों,

आस्थाओं पर करते हैं प्रहार?

उन्हें पता होना चाहिए,

नहीं देश को यह स्वीकार।


समझो हमारी भाषा वरना जाओगे पाताल।

इस गणतंत्र टूट रहे सारे भ्रम जाल।

अमर जवान ज्योति, समर

स्मृति में हो रही है विलीन,

वीर भूमि के अमर शहीदों,

आपकी यादों में हम हैं तल्लीन।

आपके शौर्य से होली में है रंग गुलाल।

इस गणतंत्र टूट रहे सारे भ्रम जाल।


आओ देश के लिए जगाओ अंगार को,

आओ देश के लिए स्वर दो हुंकार को।

आओ देश के लिए गुंजाओ दहाड़ को।

आओ देश के लिए झुकाओ पहाड़ को,


जवानियों में धधक रहा है लाल - लाल ज्वाल ।

इस गणतंत्र टूट रहे सारे भ्रम जाल।


Rate this content
Log in