गीत : ये दुनिया है झूठा सपना, देख लिया कोरोना में।
गीत : ये दुनिया है झूठा सपना, देख लिया कोरोना में।
अपना , अपना कोई न अपना, देख लिया कोरोना में।ये दुनिया है झूठा सपना, देख लिया कोरोना में।
कितने थे रिश्ते ,खूब कमाया, जिंदगी भर दुनियादारी में। मौत हो गई कितनों की इस, कोविड की बीमारी में। शव से दूर भाग रहे प्रियजन, देखा है कोरोना में।
मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारों के, ऐसे बंद कपाट हुए। चर्च, विहार और पैगोडा, सारे संग सपाट हुए। धर्मों को औकात दिखा दी, सच में ही कोरोना ने।
नेता, अफसर और जनता भी, सारे बेबस हो गए हैं जो दिखते थे सबसे ज्यादा, वो भूमिगत हो गए हैं। राजनीति को मात दिला दी, आज यहां कोरोना में।
मानवता का यही तकाजा, छोड़ें झगड़े हमारे हम। मिल जुल कर संघर्ष करेंगे कोरोना से सारे हम। नदियों तक में लाशें बहा दी, देखा है, कोरोना में।
प्रकृति से छेड़छाड़ का फल है या, साजिश है कैसे समझें। जैसी करनी, वैसी भरनी, सच में तो ऐसा समझें। विज्ञान पर विश्वास बढ़ा दी, सच में ही कोरोना ने।
