गाँव की बातें
गाँव की बातें
गाँव की बहुत याद आती है,
आँखों में बसी गाँव की हर पत्ता पत्ता डाली है,
गाँव मेरा उजालों सा है,
सूरज की रौशनी में अंगारों सा है,
गाँव की सड़कें सुनहरी सुंदर
हर चौराहा है,
गाँव की याद में जिंदा हर शहर वाला है,
आंसू समेट कर आँखों में दास्तान छुपाते है,
चंद रुपयों के मोहताज बन
अपना स्वर्ण सा गाँव छोड़ जाते है,
गाँव की बातें शब्दों कौन लिख सकता है,
गाँव जैसा सुकून और कहा मिल सकता है,
बेशक कुछ संसाधनों की कमी है,
पर शहर से अच्छा गाँव की छवि है,
कुछ खास बात तो गाँव में होगा,
जो हर शख़्स को अपने तरफ खिचती है,
मिलो दूर शहर वालों के दिल में बस्ती है,
गाँव की हरियाली तीज सी,
गाँव की आबोहवा बिल्कुल अजीज सी,
गाँव हर रूप हर बहार है,
गाँव ही बेचैनी गाँव ही करार है,
गाँव में जो सादगी है,
गाँव ही हँसते खेलते घर का श्रृंगार है,
गाँव की मिट्टी महान वंदनीय इसकी महिमा है,
हर बात निराली गाँव की और अद्भुत सावन का महीना है,
गाँव कथा में गाँव प्रथा में है,
गाँव व्याकुलता में गाँव शीतलता में,
गाँव ही शिव गाँव ही राम गाँव ही राघव है,
शहर में उलझी मौत तबाही का तांडव है।
