एक सवाल मेरा भी
एक सवाल मेरा भी
एक बात पूछना चाहती हूँ डूब रही इंसानियत से
क्या मैं वही बेटी हूँ
जिससे मां दुर्गा का रूप समझ कंजक पूजन किया जाता है?
एक बात पूछना चाहती हूँ समाज के ठेकेदारों से
क्या मैं वही माँ हूँ
जिसकी कोख से आप ने जन्म लिया?
एक बात पूछना चाहती हूँ इस दुनिया के रीति रिवाज़ों को मानने वालों से
क्या मैं वही बेटी हूँ
जिससे शादी कर अपने घर की रौनक बनाना चाहते हो?
एक बात पूछना चाहती हूँ इस समाज से
क्या मैं वही बेटी हूँ जिसे घर की लक्ष्मी कहा जाता है?
अगर हाँ
तो क्यों होता है वही कंजक रूप बेटी का शिकार ?
अगर वही संसार की जननी हूँ
तो क्यों किया जाता है उसी को बे-आबरू?
अगर किसी की बेटी को अपने घर की रौनक बनाना चाहते हो
तो क्यों करते हो बेटियों का कोख में कत्ल?
अगर घर की लक्ष्मी मानते हो
तो पैरों में क्यों मिधोल दी जाती है वही लक्ष्मी?
एक बात पूछना चाहती हूँ डूब रही इंसानियत से।
