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Sheetal Dange

Others

4.9  

Sheetal Dange

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एक मीठी कविता

एक मीठी कविता

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शब्दों से खेलना तो उसने बचपन

से ही शुरू कर दिया था

पर कवि वो हाल ही में बनी !

उसकी कवीता, जैसे

हलवाई की जलेबी !


बरसों से चली आ रही अपने बाप

दादा की रेड़ी का,

पहले से बना हुआ मट्ठा,

तनिक ही लेकर ,

और उसमें

अपना आटा डालकर बड़े

जतन से घोलता है

रात भर ठहरने के बाद

तेल की आंच को भांप के जब

सही आकार का छेद,

मापा हुआ हाथ का दबाव

और सधी हुई कलाई का घुमाव हो


फिर चीनी-पानी की चाशनी में

डूब कर ही

तो बन पाती है उम्दा, स्वादिष्ट

जलेबी।

ठीक ऐसे ही बनती है कविता!


सदियों के साहित्य का तनिक मिश्रण

अपने भावों में घोल कर,

धैर्य बुद्धि में ठहरने के बाद

चलते दौर की गर्मी को महसूस कर

जब शब्दों का उचित चुनाव हो,

और श्रोताओं का मन मापते हुए

मौलिकता का बहाव हो।


वास्तविकता और काल्पनिकता के

रस में डूब कर

बन जाती है एक उत्कृष्ट रचना

एक मीठी कविता !



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