ए हो परिंदा
ए हो परिंदा
बोलबा त मारल जइबा ,
बोलबा त मारल जइबा ,बनबा जे बागी हो ।
भभका ना दियनी लेखा सूरज के आगी हो ।।
उड़बा जे ए हो परिंदा, पंखिया जर जाइ हो ।
बाबू से कहिके लेला ठेला किनवाई हो ।।
बेचिहा तू चाय परिंदा , डिगरी जराई हो ।
पुलिसन के चाय पियईहा जइसे भउजाई हो ।।
करबा तू जसहीं जादा , जरिको कमाई हो ।
अठरह परसेंट GST तुरते लग जाई हो ।।
घिउवा के आस न करिहा , मेवा मलाई हो ।
दाल रोटी राम चलइहें देखा ढिठाई हो ।।
एगो ला बात परिंदा , खूंटे गठियाई हो ।
रवना फुकवना देहि पंखिया कटवाई हो ।।
बोलबा त मारल जइबा ,बनबा जे बागी हो ।
भभका ना दियनी लेखा सूरज के आगी हो ।।