दरख़्त यादों का
दरख़्त यादों का
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तेरी यादों का बीज बोया था
दिल की बंजर जमीन पर
इंतज़ार की खाद और
अश्कों के जल से
आज बन गया है वो
एक विशाल दरख़्त..
घना फलीभूत हुआ है ये भी
मीठी यादों के कुछ मीठे फल
कुछ अश़्कों में भीगे..
कुछ इंतज़ार में लिपटे..
तो कुछ दुआओं से बिखरे हैं
तेरे इश्क़ में दिल अब
सुरम्य कानन हुआ है।