धैर्य
धैर्य
परीक्षा होती धैर्य की, जब मन में हो तनाव,
बात बात पर झगड़ा करते, आये मन में ताव,
शांत होकर जो जी रहे, चाहे दुख हो हजार,
इंसान के क्रोध का, बता देता है हाव भाव।
धैर्य से काम लेना, जब चलते हो बुरे दिन,
शांत भाव से बीता दो, दिनों को गिन गिन,
आपस में जब झगड़ रहे, खो जाए मन चैन,
युद्ध करते दौड़ दौड़, ज्यों बोतल का जिन।
पत्नी आये क्रोध में, धैर्य से लेना है काम,
अगर क्रोध नहीं त्यागा, अंतिम आये शाम,
क्रोध जगत में पाप है, करो कभी न भूल,
शांतभाव से जो रहेगा, घर बन जाता धाम।
पास पड़ोस के झगड़े से, रहना हरदम दूर,
धर्म कर्म पर जो चले, चेहरे पर आये नूर,
क्रोध समय में पी सदा, ठंडा सा कुछ जल,
थोड़े समय शांत रहे, होगा क्रोध चकनाचूर।
क्रोध जहां में पाप है, धैर्य धर्म का समूल,
बात बात पर नहीं पकड़ो, कोई भी है तूल,
धैर्य की परीक्षा में, अगर सफल हो इंसान,
सफल हो जिंदगी, बरना बन जायेगी शूल।
धैर्य से कोई बड़ा नहीं, कहते आये हैं संत,
बिन धैर्य के जन का, जग में जल्दी ही अंत,
धैर्य सज्जन जन को, बन सकता जग महान,
धैर्य को खोते देखे जन, तुले बात कभी तंत।
धैर्य जग में सदा रखते, सीधे सादे ही इंसान,
धीरज में रहकर सदा, देते जग जन को ज्ञान,
धैर्य आभूषण मान लो, कहाता यह आभूषण,
सहन करना पड़ता धैर्य से, मान और अपमान।
धैर्य तन में रखकर, करते रहना है शुभ काम,
तभी जहां भला कहेगा, होगा जगत में नाम,
आओ अब मन धारण करे, धैर्य रूपी शस्त्र,
अगर कभी धैर्य घट जाये, रगड़ो लेकर बाम।
