डूबत तगादे-सा मन
डूबत तगादे-सा मन


नेह भी तुम्हारा
मिलता है
तनख्वाह-सा
जैसे ऊंट के मुंह जीरा
सोच-सोच कर
करता हूँ उपयोग
ताकि उम्र के महीने से पहले
रीत न जाए
कहीं मेरी सौरम-जेब
और मैं
'फूटे करम थे मेरे' की
स्थाई वंदना-सा
गाया जाऊं
जिम्मेदारी की गालियों में
फिर-फिर
या कि फिर
स्कूली पोषाहार-सा पोषण
हो जाए बीमार,
किसी सरकारी नल के
पानी-सी
झपाक से बंद हो जाए
सांसें थक कर
तब किसी गरीब की
बेटी की इज्जत-सा नाजुक
यह मन
साहूकार की बहियों में दर्ज
कटे अंगूठे-सा भरोसा
पगला जाए
चुनाव हारे बड़े नेता-सा...
तब यह उचाट-विचलित मन
फिर से
भाग न खड़ा हो
छोरी के हाथ पीले करने के
डूबत तगादे सा।