चिनगारी
चिनगारी
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उठी थी चिनगारी थोड़े दिन पहले
अब वो आग बन गई है
धीरे धीरे बढ़ कर वो अब बगावत बन गई है
मेरे ही सीने में यह आग लगी है किसी और के सीने में नहीं
यह आग बढ़ती ही जायेगी
लेकिन वो किसी का दिल जलायेगी नहीं
और ना ही वो किसी का घर उजाड़ेगी
यह आग मुझ से बातें करती है
मुझे कहती है, " मैं तुम्हें बरबाद नहीं बल्कि आबाद करूँगी
आग की तरह तन्हाई भी आई थी थोड़े दिन पहले
अब वो घर कर गई है
धीरे धीरे वो बातें करने लगी है
कहती है की इसके साथ भी जिया जा सकता है।