बसंत सा
बसंत सा
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बसंत सा आये सबके जीवन में बहार,
प्रीत के रंग में रंगे मिले सबको प्यार,
विरह की बात नही कोई करें यहाँ,
कोयल की मधुर कूक सा मिठास हो यार।
पीली पीली सरसों जैसे धरा को सजाती,
बासन्ती परिधान में किशोरियां शर्माती,
शीत की ठंडी बयार जाने को बेताब हैं,
बसंत सी मदमस्त हवा मन में राहत पहुँचाती।
बसंत सा फूलों पर भ्रमर हैं मँडराते,
गीत प्रेम का मन को है सदा ही लुभाते,
बसंत सा हर तरफ खुशहाली हो सदा,
जीवन को सतरंगी रंग में है सदा सजाते।