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Dr nirmala Sharma

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Dr nirmala Sharma

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बसन्त आयो रे

बसन्त आयो रे

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ऋतु परिवर्तन की बेला में

तन मन हर्षायो रे

सखी देखो बसन्त आयो रे


प्रकृति में सर्वत्र प्रेम रस भर लायो रे

जन-जन के जीवन में प्रफुल्लता लायो रे

वसुधा ने ओढ़ पीली चुनरिया आँचल लहरायो रे

सखी देखो बसन्त आयो रे


विविध रंग के फूलों से तन-मन महकायो रे

कोयल, मोर, पपीहा ने संगीत सुनायो रे

शीतल मंद समीर चली प्रेम राग सुनायो रे

सखी देखो बसन्त आयो रे


भँवरों ने फूलों पर गुंजार मचायो रे

तन ले उठा अंगड़ाई मन बहकायो रे

जीवन की बहती धारा में मधुरता ले आयो रे

सखी देखो बसन्त आयो रे


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