बरसात का मौसम
बरसात का मौसम
धरा जब तपिश के चरम पर होती हैं
तो वो पुकारती है अम्बर को
अपने प्रेम रुपी बारिश से धरा को सराबोर कर सके
तब झूमकर बरसता है अम्बर आपनी धरा के लिए
बारिश की बाँट जोहता किसान उम्मीद भरी नज़र
तकता रहता है प्रतिपल आकाश को कब बरसे
और जब बरसता है बादल तो खिल जाता किसान
मेहनत लगन से धरती में लहलहाता धान
सिर्फ प्रेम और चाय पकौड़े के लिए नही है बारिश
ये हैं किसानों की उम्मीद, तेज तपिश से राहत
ये बारिश सिर्फ तन को नही भिगोती
ये भिगोती है मन को जो तपता रहता है
बरसात एक साथ कई चेहरे पर मुस्कान लाता है
किसी के जीवन मे तुम भी उस बारिश की तरह आना
जिससे उसकी मन की तपिश दूर हो
मुस्कान आये किसी के रूखे से चेहरे पर
बन जाना बारिश की बूंद भीगा देना तन मन।