बिटिया रानी
बिटिया रानी
पापा पर लिखी मैंने बहुत सी कविताएँ
पापा ने कहा आज कुछ मेरी तरफ से,
पेेेशेखिदमत प्रस्तुत किया जाए।
मैंने भी हँँसकर उनको हामी भर दी
आज की महफिल उनके नाम कर दी।
प्रस्तुत हैै पापा की कलम का कुुछ हिस्सा
शायद याद आ जाए आपको कोई किस्सा।
"तेरी आभा इस कदर मुझको भाई है
मेरी सांसों में बस तू ही तू समाई है।
सब कहते हैं इसे पगली मोहब्बत मेरी
पर मेरे जीवन की तू असली कमाई है।
तेरा होना भर मेरे होने की सच्चाई है
तू मुझसे है या मैं तुझसे हूँ,
यही बात किसी के समझ ना आई है।
परछाई बनकर तू मेरे जीवन मेें आई है
यही मेरे जीवन की गहन सच्चाई है।
हर कदम साथ चलती है मेरे ऐसे
जब लड़खड़ाऊँ कभी साथ खड़ी पाई है।
मेरी बेटी है तू पर बनकर दोस्त मेरी
तूने सबसे अलग दोस्ती निभाई है।"