STORYMIRROR

Sudha Singh 'vyaghr'

Others

2  

Sudha Singh 'vyaghr'

Others

बिखर गया प्रेम

बिखर गया प्रेम

1 min
149


ये खाली खाली मकान

ये खाली बिस्तर,

यहाँ- वहाँ बिखरे खत

किसी की राह तकती

रंग उतरी नग्न दीवारें

सूनी निर्लिप्त खिड़कियाँ

चीख - चीख दे रही गवाही!

सजती थी यहाँ भी कभी

अपनों की महफिल

लगा करते थे ठहाके

गूंजती थीं नन्हें मुन्नों की

मनमोहक किलकारियाँ

और कानों में मधुरिम रस

घोलती प्रेम पगी वाणी....!

छाई है आज यहाँ निर्जनता

और सांय - सांय करती वीरानी

अकूत धनप्राप्ति की लिप्सा,

महत्वाकांक्षा उन्हें अपनों से दूर,

बहुत दूर... परदेस ले गई....

और छितर गए सारे रिश्ते

बिखर गया सारा प्रेम!



Rate this content
Log in