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Praveen Gola

Others

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Praveen Gola

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भारत... मेरा देश

भारत... मेरा देश

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हाँ... यहीं तो मैं पैदा हुई,

पली - बढी...

फिर इसी को छोड़,

कैसे चली जाऊँ?

दूसरे देश,

भारत... मेरा देश।


ज़रा सोचो तो एक बार,

आखिर क्यूँ करते हैं?

हम अपनी ही शिक्षा का व्यापार,

सिर्फ चंद ज्यादा रूपयों की खातिर,

हम छोड़ देते हैं अपना देश,

और बदल देते हैं...

दूसरे देश का वेश।


वो दूसरा देश...

हमारी मेहनत पर इठलाता है,

और हमारी ही काबिलियत से,

अपने देश का नाम कमाता है,

हम तब भी भारतवासी ही कहलाते हैं,

और अपने देश में वापस आकर,

फिर भारतवासी बन जाते हैं।


इसलिये चलो आओ सब ये प्रण करें,

कि भारत में ही अपना जीवन सम्पन्न करें,

जब तक ना हो मजबूरी,

तब तक ना जायें दूसरे देश,

गर चले भी जायें...

तो ये ना कभी भूलें,

भारत... मेरा देश।।


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