बेजान जिंदगी
बेजान जिंदगी
1 min
309
अब ना रही जीने की ख्वाहिश
जर्रा जर्रा अलग हो चुका है
कहते थे जो तुम मुझसे बात
वो सब कुछ ख़त्म हो चुका है
नाम मात्र अब जोड़ के क्या
बेजान जिंदगी से कुछ कह जाओ।
क्या रह गया है प्रतारणा के सिवा
हो गई है अब तो पराकाष्ठा
हर कथन धूमिल लगता है
सोहबत भी बेगाना सा
क्या कहते हो अब बतलाओ
बेजान जिंदगी से कुछ कह जाओ।।