क्या रह गया है प्रतारणा के सिवा हो गई है अब तो पराकाष्ठा हर कथन धूमिल लगता है क्या रह गया है प्रतारणा के सिवा हो गई है अब तो पराकाष्ठा हर कथन धूमिल लगत...