बेड़ियां
बेड़ियां
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उसने कहा- तू उड़ ना,
मैंने कहा कैसे? पंख ही नहीं मेरे पास,
उसने कहा-रुक मैं तुझे मेरे पंख देता हूँ,
तू उड़ .....देख कितना अच्छा लगता है उड़ना,
मैंने अभी उड़ने की कोशिश ही की थी,
कि औंधे मुंह गिरी ज़मीन पर,
मुझे पता ही नहीं था कि मेरे पैरो में बेड़ियां पड़ी थी।