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poem गुलाम अज्ञात पैरों ज़मीन kavita दकियानूसी सोच एहसास मैं एक नारी हूँ बचपन कोशिश दुनिया रूढ़िवादी बेड़ियां आजादी संस्कार धूल सपने पंख जुबां देश की प्रगति

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