STORYMIRROR

Manish kumar Gautam

Others

3  

Manish kumar Gautam

Others

आज़ाद बेड़ियां

आज़ाद बेड़ियां

1 min
208

जब खुद ही बेड़ियां तोड़ेंगे

तब उन्हें ऐसा एहसास होगा।

जैसे कि दूसरों के इच्छाओं से भरें,

आसमान से टूटते तारे,

वो उनकी स्वयं कि इच्छाएं होगी।

तब ईंटों को आकार देना छोड़

कोरे कागज़ पर अक्षर ढालेंगे।

उन्हें अपने अज्ञात शोषित होने कि

समय सीमा का ज्ञात हो जायेगा।

फैक्ट्रियों कि बड़ी-बड़ी दीवारें

उनके नजरों में छोटी हो जाएंगी।

आने वाली पीढ़ियों को दास्तां सुनाएंगे।

खुद को गुलाम तो एक मुल्क को

शायद किस्सों में आजाद बताएंगे

अगर उनकी बेड़ियां टूटेगी तो ......


Rate this content
Log in