बनारस कि पहली सुबह
बनारस कि पहली सुबह
कुल्हड़ से निकल अब घूंट
बनकर जहन में उतर रहा था
पहली बार मोबाइल छोड़ किसी और
चीज को मैं हाथ लगाया हूं
ना कटने वाली रात के बाद बनारस की
मेरी पहली सुबह बनारसी चाय के साथ,
कहते है कि इस शहर की
गलियों में एक दफा घूमिए,
आपको प्यार हो जायेगा शहर से
हर दूसरी गली कि मोड़ पर कोई साधु,
मंदिर या अगरबत्ती की मीठी सी
खुशबू ज़हन में घर करती नज़र आएगी।
हम सब दोस्त आज घाट
की खूबसूरती का अनुभव लेने
पैदल ही निकल पड़े तंग गलियों से,
शायद यह कहना ग़लत नहीं होगा
कि बनारस के दिल का एक
टुकड़ा बनारस के इन घाटों में बसता है।
एक अलग ही अहसास
मन में बारम्बार उमंग भरती लहरें
विचलित मन को मोहित करती आरती
डूबते आफ़ताब का नारंगी रूप
ना चाहते हुए भी अलग होने का
मतलब आपका वक्त का गुलाम होना है।
