बदनाम बसंत
बदनाम बसंत
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ये कैसी बासंती हवा लाम हो रही है।
जिंदगी लोगों की अब आम हो रही है।
जमाने की बदरंगी हवाओं में आज,
कितनी जिंदगियाँ बदनाम हो रही है।
चमन का नव कोपलों से राब्ता देखो,
नव पल्लव पुष्प उनके नाम हो रही है।
वसुंधरा भी धानी चूनर ओढ कर,
उसकी मस्तियाँ हवाओं में सरेआम हो रही है।
मौसम भी मेहरबान है आज सुबह सुबह,
दुनिया मौसम की गुलाम हो रही है।
